5 ـ باب: من مات على التوحيد دخل الجنة

Hadith No.: 14

14 - (ق) عَنْ أَبِي ذَرٍّ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صلّى الله عليه وسلّم: (أَتَانِي آتٍ مِنْ رَبِّي، فَأَخْبَرَنِي ـ أَوْ قَالَ: بَشَّرَنِي ـ أَنَّهُ مَنْ مَاتَ مِنْ أُمَّتِي لاَ يُشْرِكُ بِاللهِ شَيْئاً، دَخَلَ الجَنَّةَ) . قُلْتُ: وَإِنْ زَنَى وَإِنْ سَرَقَ؟ قَالَ: (وَإِنْ زَنَى وَإِنْ سَرَقَ) .

अबू ज़र- रज़ियल्लाहु अंहु- कहते हैं कि मैं अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ मदीना के हर्रा (काले पत्थर वाली भूमि) में चल रहा था कि हमारे सामने उहुद पर्वत आ गया। आपने कहाः ऐ अबू ज़र! मैंने कहाः मैं उपस्थित हूँ, ऐ अल्लाह के रसूल! फ़रमायाः मुझे यह पसंद नहीं है कि मेरे पास इस उहुद पर्वत के बराबर सोना हो और तीन दिनों के बाद मेरे पास उसका एक दीनार भी शेष रह जाए, सिवाय उसके जिसे मैं क़र्ज़ अदा करने के लिए बचा रखूँ। बाक़ी पूरा का पूरा अल्लाह के बंदों के बीच इस तरह, इस तरह और इस तरह बाँट दूँ। यह कहते समय आपने दाएँ, बाएँ और पीछे की ओर इशारा किया। फिर मुझसे कहाः आज अधिक धन-संपत्ति वाले क़यामत के दिन कम से कम सत्कर्म वाले होंगे, सिवाय उसके जिसने ऐसे, ऐसे और ऐसे ख़र्च किया। यह कहते समय भी आपने दाएँ, बाएँ और पीछे की ओर इशारा किया। हाँ, मगर ऐसे लोग बहुत कम होंगे। फिर मुझसे कहाः मेरे आने तक तुम यहीं रुके रहो। फिर रात के अंधेरे में चल दिए, यहाँ तक कि छिप गए। इसी बीच मैंने एक तेज़ आवाज़ सुनी और डर महसूस किया कि किसी ने अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से छेड़छाड़ न की हो। मैंने आपके पास जाने का इरादा भी कर लिया, लेकिन आपकी यह बात याद आ गई कि मेरे आने तक यहीं रुके रहना, अतः, वहीं रुका रहा। आप आए तो मैंने कहा कि मैंने एक आवाज़ सुनी और डर महसूस किया तथा आगे की पूरी बात सुनाई तो पूछा: क्या तुमने सचमुच वह आवाज़ सुनी है? मैंने कहाः जी हाँ! तो फ़रमायाः दरअस्ल, मेरे पास जिबरील आए थे। उन्होंने कहाः आपकी उम्मत का जो व्यक्ति इस अवस्था में मर जाए कि किसी को अल्लाह का साझी न बनाता हो, वह जन्नत में जाएगा। मैंने कहाः चाहे वह व्यभिचार और चोरी में लिप्त हो? फ़रमायाः हाँ, चाहे वह व्यभिचार और चोरी में लिप्त हो।

قال تعالى: {يَاأَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ حَقَّ تُقَاتِهِ وَلاَ تَمُوتُنَّ إِلاَّ وَأَنْتُمْ مُسْلِمُونَ *}. [آل عمران:102]

[خ1237/ م94]