24 - (ق) عن أبي هُرَيْرَةَ قَالَ: سَمِعْتُ رَسُولَ اللهِ صلّى الله عليه وسلّم يَقُولُ: (جَعَلَ اللهُ الرَّحْمَةَ في مِائَةَ جُزْءٍ، فَأَمْسَكَ عِنْدَهُ تِسْعَةً وَتِسْعِينَ جُزْءاً، وَأَنْزَلَ فِي الْأَرْضِ جُزْءاً وَاحِداً، فَمِنْ ذَلِكَ الجُزْءِ يَتَرَاحَمُ الخَلْقُ، حَتَّى تَرْفَعَ الفَرَسُ حَافِرَهَا عَنْ وَلَدِهَا، خَشْيَةَ أَنْ تُصِيبَهُ) .
अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को कहते हुए सुनाः अल्लाह तआला ने कृपा को सौ भागों में बाँटकर अपने पास निन्यानवे भाग रख लिए और धरती पर एक भाग उतारा। उसी एक भाग के कारण सारी सृष्टियाँ एक-दूसरे पर दया करती हैं, यहाँ तक कि एक चौपाया इस डर से पाँव को उठाए रहता है कि कहीं उसके बच्चे को चोट न लग जाए। तथा एक रिवायत में हैः अल्लाह के पास सौ रहमतें हैं, जिनमें से केवल एक रहमत को जिन्नों, इनसानों, जानवरों और कीड़े-मकोड़ों के बीच उतारा है और उसी के प्रभाव से वे एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, एक-दूसरे पर दया करते हैं और उसी के कारण जंगली जानवर अपने बच्चों को स्नेह एवं प्यार करते हैं। जबकि अल्लाह ने निन्यानवे रहमतें अपने पास रख ली हैं, जिसके नतीजे में वह क़यामत के दिन अपने बंदों पर दया करेगा। तथा सलमान फ़ारसी- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः अल्लाह तआला के पास सौ रहमतें हैं। उनमें से एक रहमत के कारण सारी सृष्टियाँ आपस में एक-दूसरे पर दया करती हैं, जबकि निन्यानवे रहमतें क़यामत के दिन के लिए हैं। तथा एक और रिवायत में हैः अल्लाह तआला ने जिस दिन आकाशों एवं धरती की रचना की, उसी दिन सौ रहमतें पैदा कीं। हर रहमत आकाश और धरती के बीच के खाली स्थान के बराबर है। उनमें से एक रहमत धरती में रख दी, जिसके नतीजे में माँ अपने बच्चे से स्नेह करती है और जंगली जानवर तथा पक्षि एक-दूसरे से प्यार करते हैं। जब क़यामत का दिन आएगा तो अल्लाह उसे इस रहमत के साथ पूरा कर देगा।
قال تعالى: {وَرَحْمَتِي وَسِعَتْ كُلَّ شَيْءٍ}. [الأعراف:156] وقال تعالى: {وَأَدْخِلْنَا فِي رَحْمَتِكَ وَأَنْتَ أَرْحَمُ الرَّاحِمِينَ}. [الأعراف:151]
[خ6000/ م2752]