39 - (ق) عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه، عَنِ النَّبِيِّ صلّى الله عليه وسلّم قَالَ: (الإِيمَانُ بِضْعٌ [1] وَسِتُّونَ شُعْبَةً [2] ، وَالحَيَاءُ شُعْبَةٌ مِنَ الإِيمَانِ) .
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) का वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "ईमान की सत्तर से कुछ अधिक शाखाएँ हैं, जिनमें सर्वश्रेष्ठ शाखा 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहना है, जबकि सबसे छोटी शाखा रास्ते कष्टदायक वस्तु को हटाना है तथा हया भी ईमान की एक शाखा है।"
[خ9/ م35]