17 ـ باب: الإيمان والإسلام والإحسان

Hadith No.: 49

49 - (م) عَنْ عُمَرَ بْنِ الخَطَّابِ قَالَ: بَيْنَمَا نَحْنُ عِنْدَ رَسُولِ اللهِ صلّى الله عليه وسلّم ذَاتَ يَوْمٍ، إِذْ طَلَعَ عَلَيْنَا رَجُلٌ شَدِيدُ بَيَاضِ الثِّيَابِ، شَدِيدُ سَوَادِ الشَّعْرِ، لاَ يُرَى عَلَيْهِ أَثَرُ السَّفَرِ، وَلاَ يَعْرِفُهُ مِنَّا أَحَدٌ، حَتَّى جَلَسَ إِلَى النَّبِيِّ صلّى الله عليه وسلّم، فَأَسْنَدَ رُكْبَتَيْهِ إِلَى رُكْبَتَيْهِ، وَوَضَعَ كَفَّيْهِ عَلَى فَخِذَيْهِ [1] ، وَقَالَ: يَا مُحَمَّدُ، أَخْبِرْنِي عَنِ الإِسْلاَمِ؟ فَقَالَ رَسُولُ اللهِ صلّى الله عليه وسلّم: (الإِسْلامُ: أَنْ تَشْهَدَ أَنْ لاَ إِلهَ إِلاَّ اللهُ، وَأَنَّ مُحَمَّداً رَسُولُ اللهِ صلّى الله عليه وسلّم، وَتُقِيمَ الصَّلاَةَ، وَتُؤْتِيَ الزَّكَاةَ، وَتَصُومَ رَمَضَانَ، وَتَحُجَّ البَيْتَ، إِنِ اسْتَطَعْتَ إِلَيْهِ سَبِيلاً) ، قَالَ: صَدَقْتَ.قَالَ: فَعَجِبْنَا لَهُ، يَسْأَلُهُ وَيُصَدِّقُهُ [2] . قَالَ: فَأَخْبِرْنِي عَنِ الإِيمَانِ؟ قَالَ: (أَنْ تُؤْمِنَ بِاللهِ، وَمَلاَئِكَتِهِ، وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ، وَاليَوْمِ الآخِرِ، وَتُؤْمِنَ بِالقَدَرِ خَيْرِهِ وَشَرِّهِ) ، قَالَ: صَدَقْتَ.
قَالَ: فَأَخْبِرْنِي عَنِ الإِحْسَانِ؟ قَالَ: (أَنْ تَعْبُدَ اللهَ كَأَنَّكَ تَرَاهُ، فَإِنْ لَمْ تَكُنْ تَرَاهُ، فَإِنَّهُ يَرَاكَ) .
قَالَ: فَأَخْبِرْنِي عَنِ السَّاعَةِ؟ قَالَ: (مَا المَسْؤُولُ عَنْهَا بِأَعْلَمَ مِنَ السَّائِلِ) . قَالَ: فَأَخْبِرْنِي عَنْ أَمَارَتِهَا
[3]
؟ قَالَ: (أَنْ تَلِدَ الأَمَةُ رَبَّتَهَا، وَأَنْ تَرَى الحُفَاةَ العُرَاةَ، العَالَةَ [4] ، رِعَاءَ الشَّاءِ، يَتَطَاوَلُونَ فِي البُنْيَانِ) .
قَالَ: ثُمَّ انْطَلَقَ، فَلَبِثْتُ مَلِيّاً
[5]
، ثُمَّ قَالَ لِي: (يَا عُمَرُ! أَتَدْرِي مَنِ السَّائِلُ) ؟ قُلْتُ: اللهُ ورَسُولُهُ أَعْلَمُ، قَالَ: (فَإِنَّهُ جِبْرِيلُ، أَتَاكُمْ يُعَلِّمُكُمْ دِينَكُمْ) .

उमर बिन ख़त्ताब- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैंः हम लोग एक दिन अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहू अलैहि व सल्लम) के पास बैठे हुए थे कि अचानक एक व्यक्ति प्रकट हुआ। उसके वस्त्र अति सफ़ेद एवं बाल बहुत काले थे। उसके शरीर में यात्रा का कोई प्रभाव भी नहीं दिख रहा था और हममें से कोई उसे पहचान भी नहीं रहा था l वह अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के सामने बैठ गया और अपने दोनों घुटने आपके घुटनों से मिला लिए और दोनों हथेलियाँ दोनों रानों पर रख लीं। फिर बोला: ऐ मुहम्मद! मुझे बताइए कि इस्लाम क्या है? आपने उत्तर दिया: इस्लाम यह है कि तुम इस बात की गवाही दो कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं तथा मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के रसूल हैं, नमाज़ स्थापित करो, ज़कात दो, रमजान के रोज़े रखो तथा यदि सामर्थ्य हो (अर्थात् सवारी और रास्ते का ख़र्च उपलब्ध हो) तो अल्लाह के घर काबे का हज करो। उसने कहा: आपने सही बताया। उमर- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि हमें आश्चर्य हुआ कि यह कैसा व्यक्ति है, जो पूछ भी रहा है और फिर स्वयं उसकी पुष्टि भी कर रहा है?! उसने फिर कहा: मुझे बताइए कि ईमान क्या किया है? आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: ईमान यह है कि तुम विश्वास रखो अल्लाह, उसके फरिश्तों, उसकी पुस्तकों, उसके रसूलों, अंतिम दिन तथा भाग्य की अच्छाई और बुराई पर। उस व्यक्ति ने कहा: आपने सही फ़रमाया। इसके बाद उसने कहा कि मुझे बताइए एहसान किया है? तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उत्तर दिया: अल्लाह की वंदना इस तरह करो, जैसे तुम उसे देख रहे हो। यदि अल्लाह को देखने की कल्पना उत्पन्न न हो सके तो कम-से-कम यह सोचो कि वह तुम्हें देख रहा हैl उसने फिर पूछा: मुझे बताइए कि क़यामत कब आएगी? आपने फ़रमाया: जिससे प्रश्न किया गया है वह (इस विषय में) प्रश्न करने वाले से अधिक नहीं जानता। उसने कहा: तो फिर मुझे क़यामत की निशानियाँ ही बता दीजिए? आपने कहाः क़यामत की निशानी यह है कि दासी अपने मालिक को जन्म देने लगे, और नंगे पैर, नंगे बदन, निर्धन और बकरियों के चरवाहे, ऊँचे-ऊँचे महलों पर गर्व करने लगें। (उमर रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैंं कि) फिर वह व्यक्ति चला गया। जब कुछ क्षण बीत गए तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने पूछाः ऐ उमर! क्या तुम जानते हो, यह सवाल करने वाला व्यक्ति कौन था? मैंने कहा: अल्लाह और उसके रसूल ही भली-भाँति जानते हैं। तो आपने फरमायाः यह जिबरील (अलैहिस्सलाम) थे, जो तुम्हें तुम्हारा धर्म सिखाने आए थे।

قال تعالى: {إِنَّ الدِّينَ عِنْدَ اللَّهِ الإِسْلاَمُ}. [آل عمران:19] وقال تعالى: {وَمَنْ يَكْفُرْ بِاللَّهِ وَمَلاَئِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ وَالْيَوْمِ الآخِرِ فَقَدْ ضَلَّ ضَلاَلاً بَعِيدًا}. [النساء:136] وقال تعالى: {وَأَحْسِنُوا إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ}. [البقرة:195]

[م8]