20 ـ باب: كتابة الحسنات والسيئات

Hadith No.: 55

55 - (ق) عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رضي الله عنهما، عَنِ النَّبِيِّ صلّى الله عليه وسلّم، فِيمَا يَرْوِي عَنْ رَبِّهِ عزّ وجل قَالَ: قَالَ: (إِنَّ اللهَ كَتَبَ الحَسَنَاتِ وَالسَّيِّئَاتِ ثُمَّ بَيَّنَ ذلِكَ، فَمَنْ هَمَّ بِحَسَنَةٍ فَلَمْ يَعْمَلْهَا كَتَبَهَا اللهُ لَهُ عِنْدَهُ حَسَنَةً كامِلَةً، فَإِنْ هُوَ هَمَّ بِهَا وَعَمِلَهَا كَتَبَهَا اللهُ لَهُ عِنْدَهُ عَشْرَ حَسَنَاتٍ إِلَى سَبْعِمِائَةِ ضِعْفٍ إِلَى أَضْعَافٍ كَثِيرَةٍ، وَمَنْ هَمَّ بِسَيِّئَةٍ فَلَمْ يَعْمَلْهَا كَتَبَهَا اللهُ لَهُ عِنْدَهُ حَسَنَةً كامِلَةً، فَإِنْ هُوَ هَمَّ بِهَا فَعَمِلَهَا كَتَبَهَا اللهُ لَهُ سَيِّئَةً وَاحِدَةً) .

अब्दुल्लाह बिन अब्बास- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने बरकत वाले और महान प्रभु से रिवायत करते हुए फ़रमायाः बेशक अल्लाह ने नेकियों और गुनाहों को लिख लिया है। फिर उसका विस्तार करते हुए फ़रमायाः जिसने किसी सत्कर्म का इरादा किया और उसे कर नहीं सका, अल्लाह उसके बदले अपने यहाँ एक पूरी नेकी लिख लेता है और अगर इरादे के अनुसार उसे कर भी लिया, तो उसके बदले में अपने पास दस से सात सौ, बल्कि उससे भी अधिक नेकियाँ लिख देता है। और अगर किसी बुरे काम का इरादा किया, लेकिन उसे किया नहीं, तो अल्लाह उसके बदले में एक पूरी नेकी लिख देता है और अगर इरादे के अनुसार उसे कर भी लिया, तो उसके बदले में केवल एक ही गुनाह लिखता है। मुस्लिम में यह इज़ाफ़ा हैः और अल्लाह की इस दया के बावजूद हलाक वही होता है, जो खुद हलाक होना चाहता है।

قال تعالى: {مَنْ جَاءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهُ عَشْرُ أَمْثَالِهَا وَمَنْ جَاءَ بِالسَّيِّئَةِ فَلاَ يُجْزَى إِلاَّ مِثْلَهَا وَهُمْ لاَ يُظْلَمُونَ *}. [الأنعام:160]

[خ6491/ م131]