23 ـ باب: الدين يسر

Hadith No.: 62

62 - (خ) عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، عَنِ النَّبِيِّ صلّى الله عليه وسلّم قَالَ: (إِنَّ الدِّينَ يُسْرٌ، وَلَنْ يُشَادَّ الدِّينَ [1] أَحَدٌ إِلاَّ غَلَبَهُ، فَسَدِّدُوا وَقارِبُوا، وأَبْـشِرُوا، وَاسْتَعِينُوا بِالغَدْوَةِ وَالرَّوْحَةِ وَشَيْءٍ مِنَ الدُّلْجَةِ [2] ).

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया : "धर्म आसान एवं सरल है और धर्म के मामले में जो भी उग्रता दिखाएगा, वह परास्त होगा। अतः, बीच का रास्ता अपनाओ, अच्छा करने की चेष्टा करो, नेकी की आशा रखो तथा प्रातः एवं शाम और रात के अंधेरे में इबादत करके सहायता प्राप्त करो।" तथा एक रिवायत में है : "बीच का रास्ता अपनाओ, अच्छा करने की चेष्टा करो तथा सवेरे, शाम और रात के कुछ भाग में इबादत करो एवं अति तथा न्यून के बीच का रास्ता अख़्तिया करो, मंज़िल प्राप्त कर लोगे।"

قال تعالى: {فَإِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا *إِنَّ مَعَ الْعُسْرِ يُسْرًا *}. [الشرح:5، 6]

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