85 - عَن ابْنِ عَبَّاسٍ قَالَ: كُنْتُ خَلْفَ رَسُولِ اللهِ صلّى الله عليه وسلّم يَوْماً فَقَالَ: (يَا غُلاَمُ، إِنِّي أُعَلِّمُكَ كَلِمَاتٍ، احْفَظِ اللهَ يَحْفَظْكَ، احْفَظِ اللهَ تَجِدْهُ تُجَاهَكَ، إِذَا سَألْتَ فَاسْأَلِ اللهَ، وَإِذَا اسْتَعَنْتَ فَاسْتَعِنْ بِاللهِ، وَاعْلَمْ أَنَّ الْأُمَّةَ لَوْ اجْتَمَعَتْ عَلَى أَنْ يَنْفَعُوكَ بِشَيْءٍ لَمْ يَنْفَعُوكَ إِلاَّ بِشَيْءٍ قَدْ كَتَبَهُ اللهُ لَكَ، وَلَوْ اجْتَمَعُوا عَلَى أَنْ يَضُرُّوكَ بِشَيْءٍ لَمْ يَضُرُّوكَ إِلاَّ بِشَيْءٍ قَدْ كَتَبَهُ اللهُ عَلَيْكَ، رُفِعَتِ الْأَقْلاَمُ وَجَفَّتِ الصُّحُفُ) .
अब्दुल्लाह बिन अब्बास- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- कहते हैंः मैं एक दिन अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पीछे सवार था कि इसी बीच आपने कहाः ऐ बच्चे! मैं तुम्हें कुछ बातें सिखाना चाहता हूँ। अल्लाह (के आदेशों और निषेधों) की रक्षा करो, अल्लाह तुम्हारी रक्षा करेगा। अल्लाह (के आदेशों और निषेधों) की रक्षा करो, तुम उसे अपने सामने पाओगे। जब माँगो, तो अल्लाह से माँगो और जब मदद चाहो, तो अल्लाह से मदद चाहो। तथा जान लो, यदि पूरी उम्मत तुम्हें कुछ लाभ पहुँचाने के लिए एकत्र हो जाए, तो तुम्हें उससे अधिक लाभ नहीं पहुँचा सकती, जितना अल्लाह ने तुम्हारे लिए लिख दिया है। तथा यदि सब लोग तुम्हारी कुछ हानि करने के लिए एकत्र हो जाएँ, तो उससे अधिक हानि नहीं कर सकते, जितनी अल्लाह ने तुम्हारे भाग्य में लिख दी है। क़लम उठा ली गई हैं और पुस्तकें सूख चुकी हैं। तथा एक रिवायत में हैः अल्लाह (के आदेशों और निषेधों) की रक्षा करो, अल्लाह को अपने सामने पाओगे। खुशहाली के समय अल्लाह को पहचानो, परेशानी के समय वह तुम्हें पहचानेगा। जान लो, जो तुम्हें प्राप्त नहीं हुआ, वह तुम्हें मिलने वाला नहीं था और जो मिल गया वह तेरे हाथ से निकलने वाला नहीं था। जान लो, मदद सब्र के साथ है, ख़ुशहाली, तकलीफ़ के साथ है और तंगी के साथ आसानी है।
قال تعالى: {وَهُوَ مَعَكُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ}. [الحديد:4]
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