मुआविया बिन अबू सुफ़यान -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "अल्लाह तआला जिसके साथ भलाई का इरादा करता है, उसे दीन की समझ प्रदान करता है।"
अबू मूसा अशअरी- रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है, वह अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से बयान करते हैं कि आपने फ़रमायाः अल्लाह तआला ने जो हिदायत और ज्ञान देकर मुझे भेजा है, उसकी मिसाल तेज़ बारिश की सी है, जो ज़मीन पर बरसती है। फिर धरती का कुछ भाग उपजाऊ होता है। वह पानी को सोख लेता है और बड़ी मात्रा में घास तथा हरियाली उगा देता है। जबकि धरती का कुछ भाग पैदावार के लायक नहीं होता। वह पानी को रोक लेता है और उसके द्वारा अल्लाह लोगों को फ़ायदा पहुँचाता है। तो लोग वह पानी पीते हैं, अपने जानवरों को पिलाते हैं और उससे खेती-बाड़ी करते हैं। साथ ही बारिश धरती के कुछ ऐसे भाग पर भी बरसती है, जो टीलों की शक्ल में होता है। न पानी को जमा रखता है और न हरियाली उगाता है। यही मिसाल उस आदमी की है, जिसने अल्लाह के धर्म की समझ हासिल की और जो शिक्षा देकर अल्लाह तआला ने मुझे भेजा है, उससे फ़ायदा उठाया। उसने उसे ख़ुद सीखा और दूसरों को सिखाया तथा यह उस आदमी की मिसाल भी है, जिसने इसपर तवज्जो नहीं दी और अल्लाह की हिदायत को, जो मैं लेकर आया हूँ, स्वीकार नहीं किया।
अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस (रज़ियल्लाहु अंहु) से रिवायत है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "मेरी ओर से दूसरों तक पहुँचा दो, चाहे एक आयत ही हो, तथा इसराईली वंश के लोगों से वर्णन करो, इसमें कोई हर्ज नहीं है, तथा जिसने मुझपर जान-बूझकर झूठ बोला, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।"