المقصِدُ الثّاني: العِلْمُ وَمَصَادِرُهُ

قال تعالى: {وَقُلْ رَبِّ زِدْنِي عِلْمًا}. [طه:114]

294 - (ق) عَنْ مُعَاوِيَةَ قالَ: سَمِعْتُ النَّبِيَّ صلّى الله عليه وسلّم يَقُولُ: (مَنْ يُرِدِ اللهُ بِهِ خَيْراً يُفَقِّهْهُ فِي الدِّينِ، وَإِنَّمَا أَنَا قَاسِمٌ وَاللهُ يُعْطِي، وَلَنْ تَزَالَ هذِهِ الأُمَّةُ قَائِمَةً عَلَى أَمْرِ اللهِ، لاَ يَضُرُّهُمْ مَنْ خَالَفَهُمْ، حَتَّى يَأْتِيَ أَمْرُ اللهِ) .

मुआविया बिन अबू सुफ़यान -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "अल्लाह तआला जिसके साथ भलाई का इरादा करता है, उसे दीन की समझ प्रदान करता है।"

298 - (ق) عَنْ أَبِي مُوسى الأَشْعَرِيِّ، عَنِ النَّبِيِّ صلّى الله عليه وسلّم قَالَ: (مَثَلُ مَا بَعَثَنِي اللهُ بِهِ مِنَ الهُدَى وَالعِلْمِ، كَمَثَلِ الغَيْثِ الكَثِيرِ أَصَابَ أَرْضاً: فَكَانَ مِنْهَا نَقِيَّةٌ، قَبِلَتِ المَاءَ، فَأَنْبَتَتِ الكَلأَ والعُشْبَ الكَثِيرَ، وَكَانَتْ مِنْهَا أَجَادِبُ [1] ، أَمْسَكَتِ المَاءَ، فَنَفَعَ اللهُ بِهَا النَّاسَ، فَشَرِبُوا وَسَقَوْا وَزَرَعُوا، وَأَصَابَتْ مِنْهَا طَائِفَةً أُخْرَى، إِنَّمَا هِيَ قِيعَانٌ [2] لاَ تُمْسِكُ مَاءً، وَلاَ تُنْبِتُ كَلأً، فَذَلِكَ مَثَلُ مَنْ فَقُهَ فِي دِينِ اللهِ، ونَفَعَهُ مَا بَعَثَنِي اللهُ بِهِ فَعَلِمَ وَعَلَّمَ، وَمَثَلُ مَنْ لَمْ يَرْفَعْ بِذَلِكَ رَأْساً، وَلَمْ يَقْبَلْ هُدَى اللهِ الَّذِي أُرْسِلْتُ بِهِ) .

अबू मूसा अशअरी- रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है, वह अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से बयान करते हैं कि आपने फ़रमायाः अल्लाह तआला ने जो हिदायत और ज्ञान देकर मुझे भेजा है, उसकी मिसाल तेज़ बारिश की सी है, जो ज़मीन पर बरसती है। फिर धरती का कुछ भाग उपजाऊ होता है। वह पानी को सोख लेता है और बड़ी मात्रा में घास तथा हरियाली उगा देता है। जबकि धरती का कुछ भाग पैदावार के लायक नहीं होता। वह पानी को रोक लेता है और उसके द्वारा अल्लाह लोगों को फ़ायदा पहुँचाता है। तो लोग वह पानी पीते हैं, अपने जानवरों को पिलाते हैं और उससे खेती-बाड़ी करते हैं। साथ ही बारिश धरती के कुछ ऐसे भाग पर भी बरसती है, जो टीलों की शक्ल में होता है। न पानी को जमा रखता है और न हरियाली उगाता है। यही मिसाल उस आदमी की है, जिसने अल्लाह के धर्म की समझ हासिल की और जो शिक्षा देकर अल्लाह तआला ने मुझे भेजा है, उससे फ़ायदा उठाया। उसने उसे ख़ुद सीखा और दूसरों को सिखाया तथा यह उस आदमी की मिसाल भी है, जिसने इसपर तवज्जो नहीं दी और अल्लाह की हिदायत को, जो मैं लेकर आया हूँ, स्वीकार नहीं किया।

304 - (خ) عَنْ عَبْدِ اللهِ بْنِ عَمْرٍو: أَنَّ النَّبِيَّ صلّى الله عليه وسلّم قَالَ: (بَلِّغُوا عَنِّي وَلَوْ آيةً، وَحَدِّثُوا عَنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَلاَ حَرَجَ [1] ، وَمَنْ كَذَبَ عَلَيَّ مُتَعَمِّداً، فَلْيَتَبَوَّأْ مَقْعَدَهُ مِنَ النَّارِ) .

अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस (रज़ियल्लाहु अंहु) से रिवायत है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "मेरी ओर से दूसरों तक पहुँचा दो, चाहे एक आयत ही हो, तथा इसराईली वंश के लोगों से वर्णन करो, इसमें कोई हर्ज नहीं है, तथा जिसने मुझपर जान-बूझकर झूठ बोला, वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।"