अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैंः अल्लाह के रसूल (सल्ल्ललाहु अलैहि व सल्लम) शौच के लिए जाते, तो मैं और मेरे जैसा एक और लड़का पानी का बरतन और एक छोटी-सी बरछी लेकर साथ हो जाते। चुनांचे आप उस पानी से इस्तिंजा (पवित्रता प्राप्त) करते।
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) का वर्णन है कि वह अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ वज़ू तथा इस्तिंजा के पानी का बर्तन लेकर चलते थे। एक दिन वह साथ में थे कि आपने फ़रमाया: यह कौन है? उन्होंने कहा: अबू हुरैरा। आपने फ़रमाया: मुझे कुछ पत्थर ला दो; उनसे मुझे इस्तिंजा करना है। मगर हड्डी तथा गोबर न लाना। इसलिए, मैं आपके पास कपड़े के किनारे में रखकर कुछ पत्थर ले गया और आपके निकट रखकर चला आया। जब आप अपनी ज़रूरत पूरी कर चुके, तो मैं आपके पास गया और बोला कि हड्डी तथा पत्थर में आख़िर क्या बात है? आपने फ़रमाया: दोनों जिन्नों का भोजन हैं। मेरे पास नसीबीन के जिन्नों का एक प्रतिनिधिमंडल आया, जो बड़े अच्छे जिन्न थे, तथा उन्होंने मुझसे आहार माँगा, तो मैंने उनके लिए अल्लाह से दुआ की कि जब वे किसी हड्डी तथा गोबर के निकट से गुज़रें, तो उन्हें उसमें भोजन मिल जाए।
अबू क़तादा अंसारी- रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः ''तुम में से कोई पेशाब करते समय अपने लिंग को दाएँ हाथ से न पकड़े तथा दाएँ हाथ से इस्तिंजा न करे एवं कुछ पीते समय बरतन में साँस न ले।''
अबू जाफ़र अब्दुल्लाह बिन जाफ़र (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मुझे एक दिन अपनी सवारी पर अपने पीछे बिठाया और मुझे आहिस्ता से एक बात बताई जो मैं किसी को बताना नहीं चाहता। और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपनी आवश्यकता पूरी करने के वक़्त जिस चीज़ के द्वारा परदा करना सबसे ज़्यादा पसंद करते थे, वह कोई ऊंची चीज़ या कोई बाग़ीचा होता था। तो आपने एक अंसारी व्यक्ति के बाग़ में प्रवेश किया और उसमें एक ऊँट था। उसने जब अल्लाहु के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को देखा, तो चिल्लाने लगा और उसकी आँखों से पानी निकलने लगा। अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) उसके पास आए और उसके कोहान तथा कान के पिछले भाग पर हाथ फेरा, तो वह चुप हो गया। आप ने फ़रमाया: इसका मालिक कौन है? एक अंसारी नौजवान आया और कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! यह मेरा है। आपने फ़रमाया: क्या तुझे इस जानवर के प्रति अल्लाह का भय नहीं होता, जिसका तुझे अल्लाह ने मालिक बनाया है? यह मुझ से शिकायत कर रहा है कि तू उसे भूखा रखता और थकाता है।
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: दो लानत के कामों से बचो। लोगों ने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! ये दो लानत के काम क्या हैं? आपने फ़रमाया: जो लोगों के रास्ते या उनके साये में पाखाना करे।
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "तुममें से कोई ठहरे हुए पानी में, जो बहता न हो, पेशाब न करे कि फिर उससे नहाए भी।"
तथा एक रिवायत में हैः "तुममें से कोई जनाबत की हालत में ठहरे हुए पानी में स्नान न करे।"
अली बिन अबू तालिब (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि मैं एक ऐसा व्यक्ति था, जिसे बहुत ज़्यादा मज़ी आती थी। अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के दामाद होनेे के नाते मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी कि मैं आपसे इस बारे में पूछूँ। चुनांचे मैंने मिक़दाद बिन असवद को पूछने का आदेश दिया (और उन्हों ने पूछा) तो फ़रमायाः "ऐसा व्यकति अपना लिंग धोने के बाद वजू करेगा।"
बुखारी में है: "अपना लिंग धोओ और वज़ू करो।"
जबकि मुस्लिम में हैः "वज़ू करो और अपनी शर्मगाह पर पानी छिड़क दो।"
अबू अय्यूब- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः ''जब तुम शौच के लिए जाओ, तो पेशाब तथा पाखाना करते समय न क़िबला की ओर मुँह करो, न उसकी ओर पीठ ही करो; बल्कि पूरब अथवा पश्चिम की ओर मुँह कर लो।'' अबू अय्यूब कहते हैंः जब हम शाम गए, तो देखा कि वहाँ शौचालय काबा की दिशा में बने हुए हैं। सो हम वहाँ तिरछे होकर बैठते और अल्लाह से क्षमा याचना करते।