इब्ने उमर -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से मरफ़ूअन वर्णित है : "एक मुस्लिम व्यक्ति पर ज़रूरी है कि वह सुने और आज्ञा का पानल करे। चाहे उसे पसंद हो या नापसंद। यह और बात है कि उसे किसी गुनाह का आदेश दिया जाए। यदि उसे किसी गुनाह का आदेश दिया जाता है, तो सुनना और आज्ञा का पालन करना ज़रूरी नहीं है।"
अबू हुरैरा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से मरफ़ूअन वर्णित है : "जिसने मेरी आज्ञा का पानल किया, उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और जिसने मेरी अवज्ञा की, उसने अल्लाह की अवज्ञा की। जो अमीर की आज्ञा का पालन करता है, वह मेरी आज्ञा का पालन करता है और जो अमीर की अवज्ञा करता, वह मेरी अवज्ञा करता है।"
अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रमाते हुए सुना : "तुम सब रक्षक हो और तुम सब से तुम्हारे मातहतों के बारे में पूछा जाएगा। एक रहनुमा रक्षक है और उससे उसके अधीनस्थों के बारे में पूछा जाएगा। एक व्यक्ति अपने परिवार का रक्षक है और उससे उसके मातहतों के बारे में प्रश्न होगा और एक स्त्री अपने पति के घर और उसके बच्चों की रक्षक है। इस तरह, तुममें से हर व्यक्ति रक्षक है और तुममें से हर व्यक्ति से उसके मातहतों के बारे में पूछा जाएगा।"
एक रिवायत में है : "तुम सब रक्षक हो और प्रत्येक व्यक्ति से उसके मातहतों के बारे में पूछा जाएगा। एक रहनुमा रक्षक है और उससे उसके मातहतों के बारे में पूछा जाएगा। एक स्त्री अपने पति के घर की रक्षक है और उससे उसके मातहतों के बारे में पूछा जाएगा तथा एक सेवक अपने मालिक के धन का रक्षक है और उससे उसके अधीनस्थ चीज़ों के बारे में पूछा जाएगा। इस तरह, तुममें से हर व्यक्ति रक्षक है और उससे उसके अधीनस्थों के बारे में पूछा जाएगा।"
माक़िल बिन यसार (रज़ियल्लाहु अंहु) से वर्णित है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जिस बंदे को अल्लाह जनता की रखवाली का काम सोंपे और वह उन्हें धोखा देते हुए मर जाए, तो उसपर अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है।"
अब्दुल्लाह बिन मसऊद- रज़ियल्लाहु अन्हु- से मरफ़ूअन रिवायत है " मेरे बाद अग्राधिकार- शासक धन स्वयं रख लेंगे दूसरों को नहीं देंगे- और ऐसे मामले सामने आएँगे, जो तुम्हें बुरे लगेंगे।" सहाबा ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, तो आप हमें क्या आदेश देते हैं? फ़रमायाः "तुम अपने ज़िम्मे वाजिब हक़ अदा करते रहना और अपना हक़ अल्लाह से माँगना।"
ज़ुबैर बिन अदी कहते हैं कि हम लोग अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहु) के पास आए और उनसे हज्जाज के अत्याचार की शिकायत की, तो फ़रमायाः "सब्र से काम लो। क्योंकि हर बाद में आने वाला समय पहले वाले के मुक़ाबले में बुरा होगा, यहाँ तक कि तुम अपने रब से जा मिलो।" यह बात मैंने ख़ुद तुम्हारे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से सुनी है।
अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है, वह नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से रिवायत करते हैं कि आपने फ़रमाया : “जो हाकिम के आज्ञापालन से इनकार करे और (मुसलमानों की) जमात से निकल जाए, फिर उसकी मृत्यु हो जाए तो ऐसी मृत्यु जाहिलियत वाली मृत्यु है। जो ऐसे झंडे के नीचे लड़ाई लड़े जिसका उद्देश्य स्पष्ट न हो, अपने लोगों के अभिमान की रक्षा के लिए क्रोधित होता हो, अपने लोगों के अभिमान की रक्षा के लिए युद्ध करने का आह्वान करता हो, या अपने लोगों के अभिमान की रक्षा को समर्थन देता हो, फिर इसी अवस्था में मारा जाए, तो यह जाहिलिय वाली मृत्यु है। जो मेरी उम्मत के विरुद्ध लड़ाई के लिए निकले तथा उम्मत के नेक व बुरे लोग सभी को मारे, न मोमिन को छोड़े और न अह्द (संधि) वाले के अह्द (संधि) का ख़याल करे, ऐसा व्यक्ति मुझसे नहीं और न मैंउस से हूँ।”