1253 - (م) عَنْ ثَوْبَانَ قَالَ: كَانَ رَسُولُ الله صلّى الله عليه وسلّم، إِذَا انْصَرَفَ مِنْ صَلاَتِهِ، اسْتَغْفَرَ ثَلاَثاً، وَقَالَ: (اللَّهُمَّ! أَنْتَ السَّلاَمُ وَمِنْكَ السَّلاَمُ، تَبَارَكْتَ ذَا الجَلاَلِ وَالإِكْرَامِ) .
स़ौबान- रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- जब नमाज़ समाप्त करते तो तीन बार अस्तग़फिरुल्लाह कहते, और यह दुआ पढ़तेः अल्लाहुम्मा अंतस्सलाम व मिनकस्सलाम, तबारकता या ज़लजलालि वल इकराम (ऐ अल्लाह तू ही सलामती वाला है और तेरी ओर से ही सलामती है, तू बरकत वाला है ऐ महानता और सम्मान वाले)।
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