2 ـ باب: الاستجمار بالحجارة

Hadith No.: 872

872 - (خ) عَنْ أَبي هُرَيْرَةَ قَالَ: اتَّبَعْتُ النَّبِيَّ صلّى الله عليه وسلّم، وخَرَجَ لِحَاجَتِهِ، فَكَانَ لاَ يَلْتَفِتُ، فَدَنَوْتُ مِنْهُ، فَقَالَ: (ابْغِنِي أَحْجَاراً أَسْتَنْفِضْ [1] بِهَا ـ أَوْ نَحْوَهُ ـ و َلاَ تَأْتِنِي بِعَظْمٍ، وَلاَ رَوْثٍ) ، فَأَتَيْتُهُ بِأَحْجَارٍ بِطَرَفِ ثِيَابِي، فَوَضَعْتُهَا إِلَى جَنْبِهِ، وَأَعْرَضْتُ عَنْهُ، فَلَمَّا قَضَى أَتْبَعَهُ بِهِنَّ.

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अनहु) का वर्णन है कि वह अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ वज़ू तथा इस्तिंजा के पानी का बर्तन लेकर चलते थे। एक दिन वह साथ में थे कि आपने फ़रमाया: यह कौन है? उन्होंने कहा: अबू हुरैरा। आपने फ़रमाया: मुझे कुछ पत्थर ला दो; उनसे मुझे इस्तिंजा करना है। मगर हड्डी तथा गोबर न लाना। इसलिए, मैं आपके पास कपड़े के किनारे में रखकर कुछ पत्थर ले गया और आपके निकट रखकर चला आया। जब आप अपनी ज़रूरत पूरी कर चुके, तो मैं आपके पास गया और बोला कि हड्डी तथा पत्थर में आख़िर क्या बात है? आपने फ़रमाया: दोनों जिन्नों का भोजन हैं। मेरे पास नसीबीन के जिन्नों का एक प्रतिनिधिमंडल आया, जो बड़े अच्छे जिन्न थे, तथा उन्होंने मुझसे आहार माँगा, तो मैंने उनके लिए अल्लाह से दुआ की कि जब वे किसी हड्डी तथा गोबर के निकट से गुज़रें, तो उन्हें उसमें भोजन मिल जाए।

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