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(ق) عَنْ أَبِي أَيُّوبَ الأَنْصَارِيِّ: أَنَّ النَّبِيَّ صلّى الله عليه وسلّم قَالَ : (إِذَا أَتَيْتُمُ الغَائِطَ؛ فَلاَ تَسْتَقْبِلُوا الْقِبْلَةَ وَلاَ تَسْتَدْبِرُوهَا، وَلكِنْ شَرِّقُوا أَوْ غَرِّبُوا) .
قَالَ أَبُو أَيُّوبَ: فَقَدِمْنَا الشَّامَ، فَوَجَدْنَا مَرَاحِيضَ بُنِيَتْ قِبَلَ القِبْلَةِ، فَنَنْحَرِفُ، وَنَسْتَغْفِرُ الله تَعَالَى.
अबू अय्यूब- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः ''जब तुम शौच के लिए जाओ, तो पेशाब तथा पाखाना करते समय न क़िबला की ओर मुँह करो, न उसकी ओर पीठ ही करो; बल्कि पूरब अथवा पश्चिम की ओर मुँह कर लो।'' अबू अय्यूब कहते हैंः जब हम शाम गए, तो देखा कि वहाँ शौचालय काबा की दिशा में बने हुए हैं। सो हम वहाँ तिरछे होकर बैठते और अल्लाह से क्षमा याचना करते।
[خ394، (144)/ م264]