जाबिर बिन अब्दुल्लाह- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः मुझे पाँच ऐसी वस्तुएँ दी गई हैं, जो मुझसे पहले किसी नबी को नहीं दी गई थीं। मेरी सहायता एक माह की दूरी से ही छा जाने वाले रोब-दाब से की गई है तथा मेरे लिए धरती को नमाज़ पढ़ने का स्थान और पवित्रता प्राप्त करने का साधन बनाया गया है। अतः, मेरी उम्मत के जिस व्यक्ति के समक्ष नमाज़ का समय आ जाए, वह नमाज़ पढ़ ले। मेरे लिए ग़नीमत के धन को हलाल किया गया है, जबकि मुझसे पहले किसी के लिए यह हलाल नहीं था। मुझे सिफ़ारिश का अधिकार दिया गया है तथा अंतिम वस्तु यह है कि मुझसे पहले प्रत्येक नबी को विशेष रूप से उसकी जाति की ओर भेजा जाता था, जबकि मुझे तमाम लोगों की ओर भेजा गया है।
हुज़ैफ़ा (रज़ियल्लाहु अनहु) का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः हमें लोगों पर तीन बातों में फ़ज़ीलत दी गई है। हमारी सफ़ों को फ़रिश्तों की सफ़ों की तरह बनाया गया है, हमारे लिए पूरी ज़मीन को मस्जिद बनाया है तथा जब पानी न मिले तो उसकी मिट्टी को हमारे लिए पवित्रता प्राप्त करने का साधन बनाया गया है तथा आपने एक और बात बताई।
अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अंहुमा) कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सवार होकर एवं पैदल चलकर क़ुबा जाते और वहाँ दो रकात नमाज़ पढ़ते थे।
तथा एक रिवायत में हैः नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) प्रत्येक शनिवार को सवार होकर एवं पैदल चलकर क़ुबा मस्जिद जाते तथा अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अंहुमा) भी ऐसा करते थे।